18 Dec 2016

रामचरितमानस की चौपाइयों



*रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।*
*इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे।*
*1.* रक्षा के लिए
*मामभिरक्षक रघुकुल नायक |*
*घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||*
*2.* विपत्ति दूर करने के लिए
*राजिव नयन धरे धनु सायक |*
*भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||*
*3.* सहायता के लिए
*मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |*
*एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||*
*4.* सब काम बनाने के लिए
*वंदौ बाल रुप सोई रामू |*
*सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||*
*5.* वश मे करने के लिए
*सुमिर पवन सुत पावन नामू |*
*अपने वश कर राखे राम ||*
*6.* संकट से बचने के लिए
*दीन दयालु विरद संभारी |*
*हरहु नाथ मम संकट भारी ||*
*7.* विघ्न विनाश के लिए
*सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |*
*राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||*
*8.* रोग विनाश के लिए
*राम कृपा नाशहि सव रोगा |*
*जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||*
*9.* ज्वार ताप दूर करने के लिए
*दैहिक दैविक भोतिक तापा |*
*राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||*
*10.* दुःख नाश के लिए
*राम भक्ति मणि उस बस जाके |*
*दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||*
*11.* खोई चीज पाने के लिए
*गई बहोरि गरीब नेवाजू |*
*सरल सबल साहिब रघुराजू ||*
*12.* अनुराग बढाने के लिए
*सीता राम चरण रत मोरे |*
*अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||*
*13.* घर मे सुख लाने के लिए
*जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |*
*सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||*
*14.* सुधार करने के लिए
*मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |*
*जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||*
*15.* विद्या पाने के लिए
*गुरू गृह पढन गए रघुराई |*
*अल्प काल विधा सब आई ||*
*16.* सरस्वती निवास के लिए
*जेहि पर कृपा करहि जन जानी |*
*कवि उर अजिर नचावहि बानी ||*
*17.* निर्मल बुद्धि के लिए
*ताके युग पदं कमल मनाऊँ |*
*जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||*
*18.* मोह नाश के लिए
*होय विवेक मोह भ्रम भागा |*
*तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||*
*19.* प्रेम बढाने के लिए
*सब नर करहिं परस्पर प्रीती |*
*चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||*
*20.* प्रीति बढाने के लिए
*बैर न कर काह सन कोई |*
*जासन बैर प्रीति कर सोई ||*
*21.* सुख प्रप्ति के लिए
*अनुजन संयुत भोजन करही |*
*देखि सकल जननी सुख भरहीं ||*
*22.* भाई का प्रेम पाने के लिए
*सेवाहि सानुकूल सब भाई |*
*राम चरण रति अति अधिकाई ||*
*23.* बैर दूर करने के लिए
*बैर न कर काहू सन कोई |*
*राम प्रताप विषमता खोई ||*
*24.* मेल कराने के लिए
*गरल सुधा रिपु करही मिलाई |*
*गोपद सिंधु अनल सितलाई ||*
*25.* शत्रु नाश के लिए
*जाके सुमिरन ते रिपु नासा |*
*नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||*
*26.* रोजगार पाने के लिए
*विश्व भरण पोषण करि जोई |*
*ताकर नाम भरत अस होई ||*
*27.* इच्छा पूरी करने के लिए
*राम सदा सेवक रूचि राखी |*
*वेद पुराण साधु सुर साखी ||*
*28.* पाप विनाश के लिए
*पापी जाकर नाम सुमिरहीं |*
*अति अपार भव भवसागर तरहीं ||*
*29.* अल्प मृत्यु न होने के लिए
*अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |*
*सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||*
*30.* दरिद्रता दूर के लिए
*नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |*
*नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना ||*
*31.* प्रभु दर्शन पाने के लिए
*अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |*
*प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||*
*32.* शोक दूर करने के लिए
*नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |*
*आए जन्म फल होहिं विशोकी ||*
*33.* क्षमा माँगने के लिए
*अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |*
*क्षमहुँ क्षमा म न्दिर दोऊ भ्राता ||*
जय सियाराम
जय माता दी 


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17 Dec 2016

स्त्री,




स्त्री,
.
एक छोटा सा शब्द,
कई विशाल अर्थ।
स्त्री मात्र शब्द नहीं,
स्त्री एक विचार है।
स्त्री मात्र शब्द नही,
स्त्री परिवार है।
स्त्री के बिना परिवार की कल्पना,
कभी सच न होने वाला सपना।
स्त्री एक, जन्मदायिनी माँ,
स्त्री एक, स्नेह की मूर्ति बहन,
स्त्री एक, जीवन यात्रा की संगिनी पत्नी।
स्त्री एक, तमाम ऐसे ही संबन्ध,
जैसे, दादी, नानी, मौसी,
बुआ, भाभी, बेटी आदि-आदि,
सभी का अपना महत्व।
स्त्री मात्र शब्द नही,
स्त्री एक भाव है।
स्त्री मात्र संबन्ध नहीं,
स्त्री एक निर्वाह है।
स्त्री, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई है,
स्त्री, राजपूताना गौरव पन्ना धाई है,
स्त्री ,प्रेम पुजारन मीरा है,
स्त्री, रानी पद्मिनी के जौहर की पीरा है,
स्त्री, ममता की मूरत यशोदा माता है,
स्त्री, असहाय देवकी की कारुणिक गाथा है,
स्त्री, सीता, तारा, मन्दोदरी है,
स्त्री, कुन्ती, द्रौपदी और गान्धारी है,
स्त्री, लय का आरोह है, अवरोह है,
स्त्री, राग कल्याणी है, राग भैरव है,
स्त्री, कपाल कुण्ड़ला, मुक्त केशा, काली है,
स्त्री, स्वर प्रदायनी, वाग्देवी, ब्राह्मी सरस्वती है,
स्त्री, महिषासुर मर्दिनी, जगदम्बा दुर्गा है,
स्त्री, सरल सलिला, भागीरथी गंगा है।
स्त्री, मात्र शब्द नही .......
स्त्री, संसार है,
स्त्री, जगत जननी है,
स्त्री, तीर्थ है,
स्त्री, मोक्ष है।
स्त्री, मात्र शब्द नही।।
स्त्री, मात्र शब्द नही ॥

10 Dec 2016

भगिनी निवेदिता

👉सच्चा आत्म-समर्पण करनेवाली देवी
🔵 थाईजेन्ड ग्रीनलैण्ड पार्क में स्वामी विवेकानन्द का ओजस्वी भाषण हुआ। उन्होंने संसार के नव-निर्माण की आवश्यकता का प्रतिपादन करते हुए कहा- ‘‘यदि मुझे सच्चा आत्म-समर्पण करने वाले बीस लोक-सेवक मिल जायें, तो दुनिया का नक्शा ही बदल दूँ।”

🔴 भाषण बहुत पसन्द किया गया और उसकी सराहना भी की गई, पर सच्चे आत्म-समर्पण वाली माँग पूरा करने के लिए एक भी तैयार न हुआ।

🔵 दूसरे दिन प्रातःकाल स्वामीजी सोकर उठे तो उन्हें दरवाजे से सटी खड़ी एक महिला दिखाई दी। वह हाथ जोड़े खड़ी थी।
🔴 स्वामीजी ने उससे इतने सवेरे इस प्रकार आने का प्रयोजन पूछा, तो उसने रूंधे कंठ और भरी आँखों से कहा- भगवन्! कल आपने दुनिया का नक्शा बदलने के लिए सच्चे मन से आत्म-समर्पण करने वाले बीस साथियों की माँग की थी। उन्नीस कहाँ से आयेंगे यह मैं नहीं जानती, पर एक मैं आपके सामने हूँ। इस समर्पित मन और मस्तिष्क का आप चाहे जो उपयोग करें।
🔵 स्वामी विवेकानन्द गद्-गद् हो गये। इस भद्र महिला को लेकर वे भारत आये। उसने हिन्दू साध्वी के रूप में नव-निर्माण के लिए जो अनुपम कार्य किया उसे कौन नहीं जानता। वह महिला थी भगिनी निवेदिता- पूर्व नाम था मिस नोबल।

28 Nov 2016

विवेक गीतांजलि -स्वामीजी का आह्वान

विवेक गीतांजलि -स्वामीजी का आह्वान
                     
(केदार ,मालकौंस  या भैरवी -कहरवा )

स्वामीजी सन्देश दे गए , भले बनो और भला करो।
कर्तव्यों को पूरा करते , श्रेय -मार्ग पर चला करो।

जानो जीवन नश्वर अपना ,छोड़ो सुख -सम्पद  का सपना।
आए दुर्लभ नर-तन लेकर ,महिमा निज उज्जवला करो।

राग- द्वेष मत रखना चित में ,लगे रहो नित सबके हिट में।
मोहमयी दुस्तर माया की ,उच्छेदन -श्रृंखला करो।

अपना चिर स्वरुप पहचानो ,दीन दुखी को ईश्वर जानो।
प्रीति और सेवा के शीतल ,निर्झर बनकर ढला करो।

दुख -पीड़ा पूरित जग सारा ,तोड़ो मिल 'विदेह ' यह कारा।
सबको ज्ञानालोक दिखाने ,निज मशाल हो जला करो। 

चिंताओं से मुक्ति -पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल

चिंताओं से मुक्ति

पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल कहते थे - काम करो, चिंता अपने आप नहीं आएगी। वह द्वितीय विश्व युद्ध के वक़्त १८ घंटे काम करते थे और अक्सर कहते कि मेरे पास इतना काम है कि मुझे चिंता करने की फुरसत ही नहीं मिलती।

20 Nov 2016

मां


⛺जब आंख खुली तो अम्‍मा की
⛺गोदी का एक सहारा था
⛺उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको
⛺भूमण्‍डल से प्‍यारा था
उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्‍तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था
हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्‍यार किया
मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी
उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्‍तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्‍नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी
मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्‍यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया
शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्‍तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया
☝हम भूल गये उसकी ममता
☝मेरे जीवन की थाती थी
☝हम भूल गये अपना जीवन
☝वो अमृत वाली छाती थी
हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्‍तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी
हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी
हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था
हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्‍धन तोड. आए
बंगले में कुत्‍ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए
उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए
हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए
मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्‍या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है
जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्‍य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं
✋मां जिसको भी जल दे दे
✋वो पौधा संदल बन जाता है
✋मां के चरणों को छूकर पानी
✋गंगाजल बन जाता है
मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्‍नत है
गिरिजाघर और शिवाला है
हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्‍प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर मां के
चरणों में ये शीश झुकाता हूं...
      
 हर हर महादेव 

17 Nov 2016

मित्रता


.....मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं....
...मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
.....अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से....
....मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
....सबकी जिंदगी बदल गयी,
....एक नए सिरे में ढल गयी,
....किसी को नौकरी से फुरसत नही...
....किसी को दोस्तों की जरुरत नही....
....सारे यार गुम हो गये हैं...
.... "तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....
....मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....
...धीरे धीरे उम्र कट जाती है...
...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है...
और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ...
.....किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...
.....जी लो इन पलों को हस के दोस्त,
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ....




वैदिक प्रश्नोत्तरी

    वैदिक प्रश्नोत्तरी
  
        
         ॥ ॐ ॥
*ॐ यह मुख्य परमेश्वर का निज नाम है, जिस नाम के साथ अन्य सब नाम लग जाते हैं।*
प्र.1-  *वेद किसे कहते है ?*
उत्तर-  *ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।*
प्र.2-  *वेद-ज्ञान किसने दिया ?*
उत्तर-  *ईश्वर ने दिया।*
प्र.3-  *ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?*
उत्तर-  *ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।*
प्र.4-  *ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?*
उत्तर- *मनुष्य-मात्र के कल्याण         के लिए।*
प्र.5-  *वेद कितने है ?*
उत्तर- चार ।                                                  1-ऋग्वेद
2 - यजुर्वेद 
3- सामवेद
4 - अथर्ववेद
प्र.6-  *वेदों के ब्राह्मण ।*
      वेद              ब्राह्मण
1 - ऋग्वेद      -     ऐतरेय
2 - यजुर्वेद     -     शतपथ
3 - सामवेद     -    तांड्य
4 - अथर्ववेद    -   गोपथ
प्र.7-  *वेदों के उपवेद कितने है।*
उत्तर -  चार।
      वेद                     उपवेद
    1- ऋग्वेद       -     आयुर्वेद
    2- यजुर्वेद       -    धनुर्वेद
    3 -सामवेद     -     गंधर्ववेद
    4- अथर्ववेद    -     अर्थवेद
प्र 8-  *वेदों के अंग हैं ।*
उत्तर -  छः ।
1 - शिक्षा
2 - कल्प
3 - निरूक्त
4 - व्याकरण
5 - छंद
6 - ज्योतिष
प्र.9- *वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?*
उत्तर- *चार ऋषियों को।*
      वेद                    ऋषि
1- ऋग्वेद        -      अग्नि
2 - यजुर्वेद      -       वायु
3 - सामवेद      -      आदित्य
4 - अथर्ववेद     -     अंगिरा
प्र.10-  *वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?*
उत्तर- *समाधि की अवस्था में।*
प्र.11-  *वेदों में कैसे ज्ञान है ?*
उत्तर-  *सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।*
प्र.12-  *वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?*
उत्तर-   *चार ।*
        ऋषि        विषय
1-  ऋग्वेद    -    ज्ञान
2-  यजुर्वेद   -    कर्म
3-  सामवे    -    उपासना
4-  अथर्ववेद -    विज्ञान
प्र.13-  *वेदों में।*
     ऋग्वेद में।
1-  मंडल      -  10
2 - अष्टक     -   08
3 - सूक्त        -  1028
4 - अनुवाक  -   85
5 - ऋचाएं     -  10589
          यजुर्वेद में।
1- अध्याय    -  40
2- मंत्र           - 1975
          सामवेद में।
1-  आरचिक     -  06
2 - अध्याय     -   06
3-  ऋचाएं       -  1875
            अथर्ववेद में।
1- कांड      -    20
2- सूक्त       -   731
3 - मंत्र       -   5977
         
प्र.14-  *वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ?*                                                                                                                                                              उत्तर-  *मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।*
प्र.15-  *क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?*
उत्तर-  *बिलकुल भी नहीं।*
प्र.16-  *क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?*
उत्तर-  *नहीं।*
प्र.17-  *सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?*
उत्तर-  *ऋग्वेद।*
प्र.18-  *वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?*
उत्तर-  *वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व ।*
प्र.19-  *वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?*
उत्तर-
1-  न्याय दर्शन  - गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन  - कणाद मुनि।
3- योगदर्शन  - पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन  - जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन  - कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन  - व्यास मुनि।
प्र.20-  *शास्त्रों के विषय क्या है ?*
उत्तर-  *आत्मा,  परमात्मा, प्रकृति,  जगत की उत्पत्ति,  मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक  ज्ञान-विज्ञान आदि।*
प्र.21-  *प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?*
उत्तर-  *केवल ग्यारह।*
प्र.22-  *उपनिषदों के नाम बतावे ?*
उत्तर- 
*1-ईश ( ईशावास्य )  2- केन  3-कठ  4-प्रश्न  5-मुंडक  6-मांडू  7-ऐतरेय  8-तैत्तिरीय 9- छांदोग्य  10-वृहदारण्यक 11- श्वेताश्वतर ।*
प्र.23-  *उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?*
उत्तर- *वेदों से।*
प्र.24- *चार वर्ण।*
उत्तर-
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र
प्र.25- *चार युग।*
1- सतयुग - *17,28000*  *वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।*
2- *त्रेतायुग- 12,96000  वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।*
3- *द्वापरयुग- 8,64000  वर्षों का नाम है।*
4- *कलयुग- 4,32000  वर्षों का नाम है।*
*कलयुग के  4,976  वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।   4,27024 वर्षों का भोग होना है।* kha
         *पंच महायज्ञ
      1- ब्रह्मयज्ञ  
       2- देवयज्ञ
       3- पितृयज्ञ
       4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
       5- अतिथियज्ञ
  
स्वर्ग  -  जहाँ सुख है।
नरक  -  जहाँ दुःख है।

 
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परिश्रम व सोच का फल

अलेक्जेन्डर हैमिलटन के अनुसार -"लोग मुझे जीनियस कहते हैं ,किंतु मेरी सारी बुद्धिमता इसी में छिपी है कि मैं हाथ में कोई विषय आते ही गहराई से उसका अध्ययन करता हूँ। वह मेरे सामने दिन -रात रहता है। मैं उसका हर प्रकार से जायजा लेता हूँ। मस्तिष्क में वही घूमता रहता है। फिर मैं जो प्रयत्न करता हूँ ,लोग उसे ही मेरी जीनियस का फल कहते हैं ,जबकि यह तो मेरे परिश्रम व सोच का फल है।

Alexander Hamilton (January 11, 1755 or 1757 – July 12, 1804) was a Founding Father of the United States, chief staff aide to General George Washington, one of the most influential interpreters and promoters of the U.S. Constitution, the founder of the nation's financial system, the founder of the Federalist Party, the world's first voter-based political party, the founder of the United States Coast Guard, and the founder of The New York Post newspaper. As the first Secretary of the Treasury, Hamilton was the primary author of the economic policies of the George Washington administration. Hamilton took the lead in the funding of the states' debts by the Federal government, the establishment of a national bank, a system of tariffs, and friendly trade relations with Britain. He led the Federalist Party, created largely in support of his views; he was opposed by the Democratic-Republican Party, led byThomas Jefferson and James Madison, which despised Britain and feared that Hamilton's policies of a strong central government would weaken the American commitment to Republicanism.

गुरू देव रवीन्द्र नाथ टैगोर " जगत -सभा में मुझे चाहिए बस इतना स्थान "गीतांजलि की कविताएं

जगत -सभा में मुझे चाहिए
बस इतना स्थान ,
एक किनारे बैठ ,
यहाँ बस गाऊँ तेरे गान !
नाथ !तुम्हारे भुवन बीच
मैं करूं और क्या काज ,
केवल तेरे सुर में बजता ,
इन प्राणों का साज।
नीरव निशि में ,देवालय में ,
जब होगा आराधन ,
'गाओ' कहना ,मैं गाऊंगा ,
सुनना तुम हे !राजन !
और ,भोर में स्वर्णिम वीणा की
जब हो झंकार ,
रहूं दूर न ,सुन पाऊँ मैं ,
उस वीणा के तार।
रखना इतना मान !
-गुरू देव रवीन्द्र नाथ टैगोर
गीतांजलि की कविताएं 

मुकम्मल की खोज

मुकम्मल की खोज 
रेडियो पर एक गीत बज रहा है -कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ,कहीं जमीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता। उन्हें थोड़ी तसल्ली हुई कि वह अकेले नहीं , दुनिया के कई सारे लोग वह सब हासिल नहीं कर पाते , जो वे करना चाहते हैं। दरअसल ,जिंदगी खोया -पाया की अनवरत कहानी है। आप इसलिए हताश नहीं हो सकते कि आपने सिर्फ पाया -पाया ही क्यों नहीं ?


दार्शनिक मैकियावेली ने एक बहुत सुंदर बात कही है -जिंदगी का पूरा मतलब है अधूरापन। ऐसा कोई नहीं ,जिसे अपना चाहा मिल सकता हो। यहाँ तक कि बुद्धि से परे पशु -पक्षियों को भी वह हासिल नहीं होता ,जिसकी खोज में वे होते हैं। हम लाख चाहें ,योजनाबद्ध तैयारियाँ करें ,फिर भी असफलता को सार्थक रूप में समझने की तैयारी बगैर सारी तैयारी अधूरी है।संगीतकार मोजार्ट से जब एक मित्र ने पूछा कि आगे तुम क्या करना चाहते हो , तो उन्होंने कहा कि एक ऐसी रचना देना , जो मैं सचमुच देना चाहता हूँ ,लेकिन मैं जानता हूँ कि ऐसा नहीं हो पाएगा।
थोड़ी अटपटी -सी लगने वाली उनकी बात में गूढ़ दर्शन छिपा है। कोई भी रचनाकार ,जिसने जितनी भी बेहतर चीज़ रचना चाह रहा होता है। सच यह है कि सम्पूर्णता की खोज भले वह ,हम ,आप कर रहे हों या मैकियावेली-मोजार्ट अधूरी है। लेकिन यहाँ थोड़ा पेंच है। आपने जो पाया है ,उसके प्रति श्रद्धानवत हों ,तो जीवन की सार्थकता महसूस हो सकती है। अपने पाए -खोए का हिसाब करने बैठें ,तो इस बात पर ध्यान फोकस करें कि क्या है , जो आपको मिला तो आपकी आँखों में चमक आ जाएगी। आप पाएंगे कि आपके हिस्से बहुत कुछ  है , जो दूसरों के पास नहीं।

दरअसल , हमें खोए को भूलने की कला आनी चाहिए और पाए के प्रति कृतज्ञता की भावना रखनी चाहिए। अधूरापन भी मुक्कमल चीज है ,मैकियावेली की बात का एक अर्थ यह भी तो है।

रेडियो   है ,

इतिहास

"इतिहास उपेक्षा की नहीं ,
खंगालने की चीज़ है।
अगर आप उसकी उपेक्षा करते हैं ,
तो वह आपकी कर देगा।
अगर आप उसे नष्ट करेंगे ,
तो वह आपकी आने वाली नस्लों को नष्ट कर देगा। "

13 Nov 2016

१ तीर से १५ निशाने

१ तीर से १५  निशाने
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१. काला धन 
काले धन की समस्या एक झटके में समाप्त हुई | दीवारों, बेड, बोरियों में भरे भरे ही समस्त काला धन अपने आप ही रद्दी हो गया | कोई छापा नहीं मारना पड़ा | कोई पूछताछ नहीं हुई |
एक बार इतना तगड़ा झटका लगने के बाद भविष्य में भी दशकों तक लोग काला धन जमा करने की सोचेंगे भी नहीं |
२. सोने का कम आयात
भारत विश्व में सोने का सबसे बड़ा आयातक है | काले धन को छुपाने के लिए लोग सोना खरीदते थे | अब काला धन ही नहीं बचा तो सोने को खरीदने का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा | सोने का आयात घटने से भारत के कुल आयात बिल में भारी कमी आएगी |
३. रूपये की कीमत में उछाल
आयात बिल घटने से विदेशी मुद्रा के विनिमय में रूपये की कीमत में जबर्दस्त उछाल आएगी |
४. सस्ते घर
काला धन खपाने का दूसरा बड़ा ठिकाना जमीन - जायदाद थी | अब काला धन ही नहीं बचा तो जमीन - जायदाद को खरीदने का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा | अब लोग केवल अपने रहने के लिए ही घर खरीदेंगे | जिससे सभी को रहने को कम कीमत पर घर उपलब्ध होंगे |
५. काला बाजारी और जमाखोरी पर रोक
काला बाजारी और जमाखोरी के लिए साधारणतया काला धन ही उपयोग होता था | अब काला धन ही नहीं बचा तो लोग काला बाजारी और जमाखोरी के लिए धन कहाँ से लायेंगे ?
६. स्वच्छ धन की कीमत में बढ़ोतरी
काले धन वालों की खरीदने की क्षमता बहुत कम हो जाएगी | जिससे स्वच्छ धन वालों की खरीद क्षमता अपने आप बढ़ जाएगी | 
काले धन की अनुपस्थिति में स्वच्छ तरीके से धन कमाने वालों के धन की कीमत अपने आप बढ़ गई है | काले धन के दम पर झूठी शान दिखाने वाले लोग अब अपने कुकर्मों को रो रहे होंगे |
७. महंगाई में भारी कमी
सस्ता सोना, सस्ता घर, मजबूत रूपये और काले धन वालों की घटी हुई खरीद क्षमता के चलते महंगाई में अपने आप भारी कमी आएगी |
इससे आयात की जाने वाली वस्तुएं जैसे पेट्रोल गैस आदि भी सस्ते होंगे | काला बाजारी और जमाखोरी खत्म होने से बाजार में भरपूर माल उपलब्ध होगा | जिससे महंगाई और घटेगी |
८. नकली नोटों की समस्या से निजात
नकली नोटों के अंतिम शिकार ज्यादातर गरीब लोग होते थे | आम लोग सब्जीवाले, रिक्शेवाले, पटरी वाले को नकली नोट थमा देते थे और वे बेचारे लुट जाते थे | उनके अलावा भी आम जनता भी इसकी शिकार थी |
अब नकली नोटों के सौदागर खुद ही बर्बाद हो गये | न जनता इन नोटों को लेगी और न ही बैंक |
९. आतंकी नेटवर्क का सत्यानाश
आतंक का सारा खेल ही काले धन और नकली नोटों पर चलता था | पाकिस्तान नकली नोटों की मोटी खेपें भारत की अर्थव्यवस्था की बर्बाद करने और आतंकियों की तनखा देने के लिए भेजता था |
अब आतंकियों के पास हथियार खरीदने के लिए भी धन नहीं होगा | क्योंकि जो काला और नकली धन उनके पास जमा है वो सब तक कूड़ा हो गया |
१०. हवाला कारोबार का दिवाला
लोगों के खरबों रूपये रोज इधर से उधर भेजने वाले हवाला कारोबारियों का अब बैठे बैठे दिवाला निकल गया | जो पुराने नोट लिए वो तो रद्दी हो गये | नये नोट कहाँ से डिलीवर करें ?
११. सट्टा बाजार का बैठा भट्टा
करोड़ों रूपये का सट्टा कारोबार करने वाले भी अब बर्बाद हो चुके हैं | जो लोग सट्टे में हारे वो पुराने नोट दे नहीं सकते और जो जीते वो पुराने नोट ले नहीं सकते |
१२. बिल से व्यापार
जब काला धन नहीं होगा तो दुकानदारों को बिल काट कर ही सामान बेचना पड़ेगा | साथ ही क्रेताओं को भी टैक्स चूका कर ही सामान खरीदना होगा |
१३. रिश्वत खोरी पर अंकुश
रिश्वत खोरों पर तो पुराने नोटों का बंद होना किसी अज़ाब की तरह टूटा है | करोड़ों के रद्दी नोट जो भरे पड़े हैं उन्हीं का कुछ निपटान हो तो आगे रिश्वत लेने की सोचेंगे |
१४. अधिक टैक्स एकत्रीकरण
अधिक टैक्स इकठ्ठा होने से देश की रक्षा और विकास जरूरतें तेजी से पूरी हो सकेंगी | महंगाई कम होने से सब्सिडी का बोझ भी कम होगा | यह सब धन देश के विकास और युवा शक्ति के उत्थान में लगेगा  |
१५. स्वस्थ चुनाव
काले धन की अनुपलब्धता से चुनावों में बेतहाशा खर्च करना कम हो जाएगा | साथ ही गरीब वोटरों को पैसा और शराब से ललचाने का काम भी बंद होगा |

6 Oct 2016

M.S.Dhoni – The Untold Story

Watched  the movie  "M.S.Dhoni – The Untold Story" at Wave Cinemas Moradabad. Good work by Sushant Singh Rajput.Anupam Kher as usual best.Watching the movie, understand the concept of "Patience,Purity and Perseverance."
M.S. Dhoni-The Untold Story




Swami Vivekananda has himself said "Truth,purity and unselfishness- wherever these are present, there is no power below or above the sun to crush the possessor thereof.Equipped with these,one individual is able to face the whole universe in opposition."

You know him as M.S.Dhoni, the legendary cricketer. Now, know the journey of his untold story. Watch the official trailer of M.S.Dhoni – The Untold Story here.

M.S. Dhoni - The Untold Story is a bollywood biographical film directed by Neeraj Pandey, releasing on 30th September 2016. Produced by Fox Star Studios and Inspired Entertainment. The film is based on the life of Indian cricketer and the current captain of the Indian national cricket team, Mahendra Singh Dhoni. The film features Sushant Singh Rajput in the leading role as Dhoni, Kiara Advani as Sakshi Dhoni, Disha Patani and Anupam Kher.

Short biography of Mahendra Singh Dhoni from Wikipedia:




महेंद्र सिंह धोनी,  कभी कभी एम् एस धोनी के नाम से जाने जाते हैं (जन्म 7 जुलाई 1981) झारखंड के रांची में हुआ था। वो भारतीय क्रिकेटर तथा भारतीय क्रिकेट दल के वर्त्तमान कप्तान है और भारत के सबसे सफल एकदिवसीय कप्तान हैं। शुरुआत में एक असाधारण उज्जवल व आक्रामक बल्लेबाज़ के नाम पर जाने गए धोनी धीरे-धीरे भारतीय एक दिवसीय के सबसे शांतचित्त कप्तानों में से जाने जाते हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने 2007 आईसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी ट्वेंटी, 2007-08 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज 2007-2008 के सीबी सीरीज़ औरबॉर्डर-गावस्कर ट्राफीजिसमे भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-0 में हराया प्रमुख मैच जीते। उन्होंने भारतीय टीम को श्रीलंका और न्यूजीलैंड में पहली अतिरिक्त ओ दी आई सीरीज़ जीत दिलाई.२/९/१४ उन्होंने भारत को २४ साल बाद इंग्लैण्ड वनडे सीरीज मे जीत दिलाई। धोनी ने कई सम्मान वि प्रापत किए है जैसे 2008 में आईसीसी ओ दी आई प्लेयर ऑफ़ थे इयर अवार्ड (प्रथम भारतीय खिलाडी जिन्हें ये सम्मान मिला)राजीव गाँधी खेल रत्नापुरस्कार और 2009 में भारत के चौथे सर्वोच्चा नागरिक सम्मान, पद्मश्री पुरस्कार. साथ ही 2009 में विस्देन के सर्वप्रथम ड्रीम टेस्ट ग्यारह टीम में धोनी को कप्तान का दर्जा दिया गया। उनकी कप्तानी में भारत ने 28 साल बाद एक दिवसीय क्रिकेट वर्ल्ड कप में दुबारा जीत हासिल की। सन् २०१३ मे इनकी कप्तनी मे भारत पहली बार चैपियन ट्रॉफी का विजेता बना। ये दुनिया के पहले ऐसे कप्तान बन गये जिनके पास आईसीसी के सभी कप है। हाल मे ही इन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इनके इस फैसले से क्रिकेट जगत स्तब्ध रह गया। इन्होंने लगा तार दूसरी भार आईसीसी वल्ड कप २०१५ मे भारत का नेत्वत किया और पहली बार भारत ने सभी गु्प मैच जीते साथ ही इनहोंने लगा तार ११ वल्ड कप मैच जीत का रिकार्ड भी बनाया ये भारत के पहले ऐसे कप्तान बन जिन्होंने १०० वनडे मैच जीताऐ हैं। और उन्होनें कहा है की जल्द ही वो एक ऐसा कदम उठाएंगे जो किसी कप्तान ने अपने करीयर में नहीं उठाया वो टीम को २ हिस्सों में बाटेंगे जो खिलाड़ी अच्छा नहीं खेलेगा उसे वो २सरी टीम में डाल देंगे और जो खिलाड़ी अच्छा खेलेगा वो उसे अपनी टीम में रख लेंगे इसमें कुछ नये खिलाड़ी भी आ सकते हैं।

30 Sept 2016

Positive Outlook of Indian Society

Conflicts of Indian Society
At Wave Cinemas, watching the movie "Pink".Fine acting by Amitabh Bachchan as usual.The movie tries to represent the life of the working girls of the metro cities,their struggle and the mind set ofteh people.The movie represent the ideological view.But it's really tough to judge the right or wrong.Everybody doesn't going to have an advocate like Mr Sehgal.A good poem in the end in teh voice of Amitabh ji.
Here is a short description of the movie.The source is the Wikipedia:
Three girls - Minal Arora (Taapsee Pannu), Falak Ali (Kirti Kulhari) and Andrea (Andrea Tariang) are staying together as tenants in a posh South Delhi locality and are normal working professionals in their respective fields. One night, after a rock concert they accept a dinner invitation from Rajveer (Angad Bedi), who is the nephew of a powerful politician from South Delhi, and two others to a resort in Surajkund, Faridabad district, Haryana. Rajveer is known to Minal through a common friend. Rajveer and his friends get drunk, and so do Minal and her friends. Finding the opportunity, the three men separate the three girls from each other. Rajveer gets close and and tries to molest Minal (Taapsee Pannu) and her two roommates,despite they saying NO to them. Minal picks up a bottle and smashes it on Rajveer's eye, leaving him bleeding.
To avenge the same, Rajveer and his friends try to vacate the girls from their houses and threaten them over the phone. Minal is forced to approach the police with the intention to file an FIR against Rajveer and his friends. However, knowing Rajveer and his family, the lady police officer on duty does not register the complaint. Upon realisation Rajveer lodges a false FIR against the girls, labelling them as prostitutes, using his powerful contacts. Minal is then charged for 'Attempt to murder' and for soliciting, where she could face imprisonment for more than 10 years, if convicted. The other girls are labelled as co-accused.
Deepak Sehgall (Amitabh Bachchan) is a retired lawyer suffering from bipolar disorder who experiences frequent mood swings and has an ailing wife (Mamata Shankar). He is also a neighbour of the 3 girls (Minal, Falak and Andrea). He witnesses their troubles and after consultation with his wife, takes it upon himself to represent the girls in the court. The film revolves around how Deepak fights the girls' case against these influential boys.
Here is the link for the poem by Amitabh ji.Again inspiring:

24 Sept 2016

EINSTEIN’S 10 GREATEST LESSONS


EINSTEIN’S 10 GREATEST LESSONS

Albert Einstein was an immortal of science that made note worthy changes and contributions in the 20th century. He was an inspiration for the remarkable scientists subsequent to him for his brilliant discoveries.
Einstein was prominent for his works in theoretical physics, a great philosopher of science for his simplicity, and an author of several books. Above all, Einstein was prominent as the father of modern physics.
There were four works of Einstein that substantially contributed to the foundation of modern physics. These works relate to photoelectric effect, Brownian motion, special relativity and matter – energy equivalence. The four areas of focus were the justification for the discovery and explanation of quantum theory, atomic theory and concepts on matter, space and time.
I know you’re impressed I’d know these, right?  I don’t.  I read them just as you’re doing.
Einstein received the Nobel Prize in Physics in 1921 “for his services to Theoretical Physics, and especially for his discovery of the law of the photoelectric effect.”  His soaring accomplishments only make these ten truths all the more impressive when you consider how common-sense they are.
It’s obvious to see how Einstein would’ve been a terrific teacher in the classroom, then.  He wasn’t only a brain on two legs:  he actually made sense so the normal person in the seat – like me – could grasp the larger truth.  Here, then, are what are thought to be Albert Einstein’s Ten Greatest Lessons for Life.

Lesson 1: Cultivate a Curious Mind

“I have no special talent. I am only passionately curious.” Do not hold back curiosity. It has a reason for its existence. Keep a questioning mind.

Lesson 2: The Worth of Perseverance is Intangible

“It’s not that I’m so smart; it’s just that I stay with problems longer.” The price of perseverance is beyond the corporeal things. It cannot be measured. It cannot be sold. It has no price.

Lesson 3: Devote Attention To One Thing At A Time

“Any man who can drive safely while kissing a pretty girl is simply not giving the kiss the attention it deserves.” Do not do several tasks at once. It is in doing one task at a time that excellence is achieved.

Lesson 4: Give Weight to Imagination

“Imagination is everything. It is the preview of life’s coming attractions. Imagination is more important than knowledge.” Imagination is cheaper than free. It is in imagination that one recognizes the knack he has.

Lesson 5: Mistakes Are Inevitable

“A person who never made a mistake never tried anything new.” More often than not, mistakes are stepping stones to new discoveries. It is part and parcel of living.

Lesson 6: The Future is Not Ours to See

“I never think of the future – it comes soon enough.” The future is a result of the things we do today. Thinking what lies beforehand is not a bad scheme, but most of the time the present is being neglected.

Lesson 7: Value is Superior to Success

“Strive not to be a success, but rather to be of value.” Success is a goal worth striving for. However, creating value has an enduring effect for people to remember.

Lesson 8: Change Triggers Another Result

The definition of insanity is doing the same thing over and over and expecting different results’. Different results occur when you change the way you do things. Only unwise people will expect a different result from doing the same thing over and over again. Different results will only be possible by way change.

Lesson 9: Information is not knowledge. The only source of knowledge is experience

Lesson 10: Understand the Basics

“You have to learn the rules of the game. And then you have to play better than anyone else.”
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© 2nd Cup of Coffee, September 2015

Source: http://2ndcupofcoffee.com/2015/09/einsteins-10-greatest-lessons/

21 Sept 2016

Story of King Khan


 सर्कस की सीख 
"सर्कस के दिनों में के.एन. सिंह  के बेटे पुष्कर उस सीरियल के चीफ असिस्टेंट थे। एक बार उनके साथ  के.एन. सिंह से मिलने मिलने गया था। तब वे देख नहीं सकते थे। उन्होंने पास बुलाया और मेरे चेहरे को उँगलियों से टटोला। उन्होंने एक ही बात कही ऑब्ज़र्वे ,एब्सॉर्ब एंड टेक इट आउट ऑफ योर सिस्टम व्हेन कॉल्ड अपॉन टू डू सो। (देखो और आत्मसात करो। जब करने के लिए कहा जाए तो अपने सिस्टम से उसे निकालो और उड़ेल दो ) सच कहूँ तो मैं वही करता रहा हूँ। डायरेक्टर के एक्शन बोलते ही अपने अनुभव उड़ेल देता हूँ। "

अलग है मिजाज 
"मेरी सोच थोड़ी सी अलग है। आजाद ख्याल हूँ। बहुत खुले दिमाग का हूँ। अलग किस्म का दिल है मेरा। मैं गलतियां माफ कर देता हूँ तो लोग समझते हैं कि मैं डर गया। मैं संवेदनशील होकर बुरा मान जाता हूँ तो लोग कहते हैं कि मैं डर गया। मैं संवेदनशील होकर बुरा मान जाता हूँ तो लोग कहते हैं कि पता नहीं यह अपने आपको क्या समझता है ?"


जब याद मेरी आए
"मैं चाहूँगा कि लोग मुझे इस बात  के लिए याद रखें कि शाहरुख़ ने कोशिश बहुत की थी।  मेरी कब्र पर लिखा हो -हिअर लाइज शाहरुख़ खान एंड ही ट्राइड (यहाँ शाहरुख़ खान लेटे हैं। उन्होंने बहुत कोशिशें की थीं )मेरी कामयाबी मत गिनो ;कोशिशें गिनों। मेरी कोशिशें ही मेरा हासिल हैं। "

स्टारडम का कवच 
"आरंभिक दो -चार मुलाक़ातों में मैं लोगों को बहुत भाता हूँ। मैं अमूमन बदतमीजी नहीं करता। बहुत प्यार से मिलता हूँ। लोगों को लगता है कि इतना बड़ा स्टार होकर भी इतना विनम्र है ?फिर कुछ मुलाक़ातें हो जाती हैं तो उन्हें लगने लगता है कि मैं एक्टिंग करता हूँ। तीसरे फेज में मैं लोगों को अनरियल लगने लगता हूँ। मुझे भी ऐसा लगता है कि जब लोग मेरे बहुत करीब आ जाते हैं तो मेरा और उनका तालमेल नहीं रह जाता। स्टारडम का कवच किसी को भी मेरे करीब नहीं आने देता। "

अकेला होने पर मैं किताबें पढ़ता हूँ। मेरी आत्मकथा अभी तक पड़ी हुई है। काफी लिखी जा चुकी है। अभी भी लिख रहा हूँ।

अगर चोटी पर हूँ तो अकेला हूँ। अभी बातें चल रही हैं कि नीचे आ गया हूँ। यह एक तरह से अच्छा ही है। दो चार लोग साथ में मिल जाएंगे। मजाक छोडें असल ज़िन्दगी में मैं निहायत अकेला हूँ। फिल्मों में काम करते -करते कहीं पर बेसिक और नार्मल ज़िंदगी से मेरा टच खत्म हो गया है। शायद वक़्त की कमी से रिश्ता बनाना नहीं आता। मुझे लगता है कि मेरा एक गाना मेरी ज़िंदगी का बयान करता है -मुझसे लायी भी नहीं गई और निभायी भी नहीं गयी। मैं तोड़ भी नहीं पाता ,जोड़ भी नहीं पाता। मैं चार दोस्तों के साथ मिमिलकर हँसता -खेलता नहीं। मैं इन चीजों को मिस करता हूँ।
















18 Sept 2016

अवध और पश्चिमी उत्तरप्रदेश

लखनऊ जो कि गंगा जमुना तहज़ीब की  शानदार मिसाल है। आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से। लखनऊ शहर  नवाबी ,कला और संस्कृति का अनूठा मेल है। लखनऊ शहर से मेरा व्यक्तिगत जुड़ाव है। ये मेरा जन्मस्थान है और मेरा ननिहाल भी रहा है। कानपुर रोड ,चारबाग़ ,चौक ,हैदरगंज ,हज़रतगंज ,हनुमान सेतू ,लखनऊ विश्वविद्यालय,शाम ऐ अवध और अपना रामकृष्ण मठ निरालानगर से मेरा गहरा और अटूट रिश्ता है। बचपन से  इनकी राहों पे चल  रहा हूँ और 'पहले आप पहले आप ' की संस्कृति से रूबरू हो रहा हूँ। यहाँ कोई नाराज भी होता है तो ऐसा लगता है कि फूल झड़ रहे हों। भइया जी शब्द कानों को सुकून पहुँचता है। अवध की बात ही कुछ और है। जो लखनऊ में बात है वो कहीं नहीं है ,न दिल्ली में न मुम्बई न गुडगाँव और न ही नोएडा में ।

दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तरप्रदेश जो कि मेरी कर्मस्थली है बचपन से। मुरादाबाद जो कि मेरा पैतृक शहर है। यहाँ लालन पालन हुआ और शिक्षा यहीं से प्राप्त की। चुनावों का माहौल आते ही फिज़ा बदलने लगती है। जहर घुलने लगता है हवा में। धुर्वीकरण की राजनीति की बीसात बिछाई जाती है। माहौल बिगाड़ा जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले मुजफ्फरनगर दंगे हों या फिर इसी तरह की अन्य घटनाएं। मथुरा में हाल फिलहाल में हुआ घटनाक्रम जिसमें दो पुलिस अधिकारियों की शहदात हुई। शहादत चाहें कश्मीर में हो या फिर मथुरा में ,शहादत मिलिट्री के जवान की हो या पुलिस के जवान की ,कलेजा भारत माता का ही चिरता है। सम्मान  दोनों की शहदात होना चाहिए। लेकिन सम्मान सबको बराबर नहीं मिलता। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश का हर नागरिक उन्हें सम्मान देना चाहता है। अधिकारियों को भी अपना कर्त्तव्य पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से निभाना चाहिए क्योंकि सम्मान कमाया जाता है दिया नहीं जाता। आज फिर से इसी तरह की खबर  बिजनोर से आई है। जिसमें ऐसा प्रतीत होता है कि उचित कार्यवाही नहीं की गई है। प्रशासन को निष्पक्ष होके कार्यवाही करनी चाहिए। जिम्मेदारी और जवाबदेही उनकी संविधान और अशोक स्तम्भ के प्रति होनी चाहिए।  

बॉर्डर फिल्म का एक वाक्य याद आ गया 'तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो ,हम ही हम हैं तो क्या हम हैं '  



ठाकुर रामकृष्ण परमहंस महराज जी ने भी यही बात अपने शब्दों कुछ इस तरह बयां की है

"जितने लोगों को देखता हूँ ,सभी धर्म -धर्म करके एक दूसरे के साथ झगड़ा करते हैं। हिन्दू ,मुसलमान ,ब्रह्मज्ञानी ,शाक्त ,वैष्णव ,शैव -सभी परस्पर झगड रहे हैं। यह बुद्धि नहीं कि वे जिसे कृष्ण कह रहे हैं उन्हें ही शिव , उन्हें ही आद्यशक्ति कहा गया है ,उन्हें ही ईसा ,उन्हें ही अल्लाह कहा गया है। एक राम उनके हजार नाम। ऐसा सोचना ठीक नहीं कि मेरा धर्म ही ठीक है ,अन्य सभी गलत हैं। सारे पथों से उनकी प्राप्ति हो सकती है। आतंरिक व्याकुलता रहने से ही हुआ। अनन्त पथ -अनन्त मत। "





17 Sept 2016

Swami Vivekananda's grief after Chicago Address

After Swami Vivekananda had delivered his message in the Parliament, the Swami suffered no longer from material wants.The doors of the wealthy were thrown open. Their lavish hospitality made him sick at heart when he remembered the crushing poverty of his own people. His anguish became so intense one night that he rolled on the floor, groaning: 'O Mother, what do I care for name and fame when my motherland remains sunk in utmost poverty?To what a sad pass have we poor Indians come when millions of us die for want of a handful of rice, and here they spend millions of rupees upon their personal comfort!Who will raise the masses of India?Who will give them bread?Show me, O Mother, how I can help them.'While addressing one session of the Parliament, the Swami had said that what India needed was not religion, but bread.Now he began to study American life in its various aspects, especially the secret of the country's high standard of living and he communicated to his disciples in India his views on the promotion of her material welfare.
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13 Sept 2016

Swami Abhedananda

Swami Abhedananda


Pre-monastic name :
Kali Prasad Chandra
Date of Birth : 2 October 1866
Place of Birth : North Kolkata


Born in a fairly well-to-do family, Kali had a great eagerness to learn yoga from his boyhood. He gained a good grounding in Sanskrit and English. At the age of 18, when he was studying for the school final examination, he went to Dakshineswar and met Sri Ramakrishna. Under the guidance of the Master, Kali practised meditation and was soon blessed with several visions.
Kali became a frequent visitor to Dakshineswar. He served the Master during his last illness. After the Master’s passing away, he joined the Baranagar Math and underwent sannyasa ordination, assuming the name Swami Abhedananda. At the Baranagar Math he used to shut himself up in a room and do intense meditation or study. This earned him the sobriquet “Kali Tapasvi”. He spent several years visiting places of pilgrimage on foot.
In 1896 Swami Vivekananda brought him to London for Vedanta work there. The next year he crossed over to USA and was given charge of the newly founded New York Vedanta centre. His profundity of scholarship, incisive intellect and oratorical power elicited widespread admiration, and people thronged to listen to him. He was also a prolific writer and his books on life after death, etc are famous.
After his long and successful work in America Swami Abhedananda returned to India in 1923. Soon he established a separate organization named Ramakrishna Vedanta Math and started living at the new centre. However, he maintained cordial relationship with his brother monks at Belur Math which he visited occasionally. He presided over the Parliament of Religions at the Town Hal, Kolkata, as a part of the celebration of the Birth Centenary of Sri Ramakrishna.
He left the mortal frame on 8 September 1939.
Of all the contributions that Swami Abhedananda made to Ramakrishna Movement, the most widely appreciated and enduring one is his composition of sublime and beautiful hymns (in Sanskrit) on Sri Ramakrishna and Sri Sarada Devi. His hymn to Holy Mother beginning with Prakritim paramam abhayam varadam, which is sung in many ashramas and homes, is unrivalled in the depth of conception and felicity of expression.
 

For further reading : 1. Swami Abhedananda, a Spiritual Biography, By Moni Bagchi
2. Amar Jivan-katha (in Bengali), By Swami Abhedananda
 

10 Sept 2016

RESPONSE TO WELCOME

At the World's Parliament of Religions, Chicago 
11th September, 1893

Sisters and Brothers of America,

It fills my heart with joy unspeakable to rise in response to the warm and cordial welcome which you have given us. I thank you in the name of the most ancient order of monks in the world ; I thank you in the name of the mother of religions ; and I thank you in the name of millions and millions of Hindu people of all classes and sects.

My thanks, also, to some of the speakers on this platform who, referring to the delegates from the orient, have told you that these men from far-off nations may well claim the honour of bearing to different lands the idea of toleration. I am proud to belong to a religion which has taught the world both tolerance and universal acceptance.We believe not only in universal toleration, but we accept all religions as true. I am proud to belong to a nation which has sheltered the persecuted and the refugees of all religions and all nations of the earth. I am proud to tell you that we have gathered in our bosom the purest remnant of the Israelites, who came to Southern India and took refuge with us in the very year in which their holy temple was sheltered to pieces by Roman tyranny. I am proud to belong to the religion which has sheltered and is still fostering the remnant of the grand Zoroastrian nation. I will quote to you, brethren, a few lines from a hymn which I remember to have repeated from my earliest boyhood, which is every day repeated by millions of human beings : "As the different streams having their sources in different places all mingle their water in the sea, so O Lord, the different paths which men take through different tendencies, various though they appear, crooked or straight, all lead to Thee."

The present convention, which is one of the august assemblies ever held, is in itself a vindication, a declaration to the world of the wonderful doctrine preached in the Gita ; "Whosoever comes to Me, through whatsoever form, I reach him ; all men are struggling through paths which in the end lead to me." Sectarianism, bigotry, and its horrible descendant, fanaticism, have long possessed this beautiful earth. They have filled the earth with violence, drenched it often and often with human blood, destroyed civilisation and sent whole nations to despair.Had it not been for these horrible demons,human society would be far more advanced than it is now. Bur their time is come ; and I fervently hope that the bell that tolled this morning in honour of this convention may be the death-knell of all fanaticism, of all persecutions with the sword or with the pen, and of all uncharitable feelings between persons wending their way to the same goal.

Swami Vivekananda Speech at Chicago - Welcome Address


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