विवेक गीतांजलि -स्वामीजी का आह्वान
(केदार ,मालकौंस या भैरवी -कहरवा )
स्वामीजी सन्देश दे गए , भले बनो और भला करो।
कर्तव्यों को पूरा करते , श्रेय -मार्ग पर चला करो।
जानो जीवन नश्वर अपना ,छोड़ो सुख -सम्पद का सपना।
आए दुर्लभ नर-तन लेकर ,महिमा निज उज्जवला करो।
राग- द्वेष मत रखना चित में ,लगे रहो नित सबके हिट में।
मोहमयी दुस्तर माया की ,उच्छेदन -श्रृंखला करो।
अपना चिर स्वरुप पहचानो ,दीन दुखी को ईश्वर जानो।
प्रीति और सेवा के शीतल ,निर्झर बनकर ढला करो।
दुख -पीड़ा पूरित जग सारा ,तोड़ो मिल 'विदेह ' यह कारा।
सबको ज्ञानालोक दिखाने ,निज मशाल हो जला करो।
(केदार ,मालकौंस या भैरवी -कहरवा )
स्वामीजी सन्देश दे गए , भले बनो और भला करो।
कर्तव्यों को पूरा करते , श्रेय -मार्ग पर चला करो।
जानो जीवन नश्वर अपना ,छोड़ो सुख -सम्पद का सपना।
आए दुर्लभ नर-तन लेकर ,महिमा निज उज्जवला करो।
राग- द्वेष मत रखना चित में ,लगे रहो नित सबके हिट में।
मोहमयी दुस्तर माया की ,उच्छेदन -श्रृंखला करो।
अपना चिर स्वरुप पहचानो ,दीन दुखी को ईश्वर जानो।
प्रीति और सेवा के शीतल ,निर्झर बनकर ढला करो।
दुख -पीड़ा पूरित जग सारा ,तोड़ो मिल 'विदेह ' यह कारा।
सबको ज्ञानालोक दिखाने ,निज मशाल हो जला करो।
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