17 Nov 2016

गुरू देव रवीन्द्र नाथ टैगोर " जगत -सभा में मुझे चाहिए बस इतना स्थान "गीतांजलि की कविताएं

जगत -सभा में मुझे चाहिए
बस इतना स्थान ,
एक किनारे बैठ ,
यहाँ बस गाऊँ तेरे गान !
नाथ !तुम्हारे भुवन बीच
मैं करूं और क्या काज ,
केवल तेरे सुर में बजता ,
इन प्राणों का साज।
नीरव निशि में ,देवालय में ,
जब होगा आराधन ,
'गाओ' कहना ,मैं गाऊंगा ,
सुनना तुम हे !राजन !
और ,भोर में स्वर्णिम वीणा की
जब हो झंकार ,
रहूं दूर न ,सुन पाऊँ मैं ,
उस वीणा के तार।
रखना इतना मान !
-गुरू देव रवीन्द्र नाथ टैगोर
गीतांजलि की कविताएं 

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