Service to the world at large with the ideology of Ramakrishna Paramhansa,Swami Vivekananda and Ma sarada Devi. SRKS, Moradabad is a member Ashram of UP-UK Ramakrishna-Vivekananda Bhav Prachar Parishad. Working under the guidance of Secretary Maharajji of RKM, Lucknow and Sukhad Ram Pandey Sir. #SRKSMoradabad #HolisticEducation #IESQ #IinstantInspiration #SwamiVivekanandaMaharajji
5 May 2017
Prateek Bansal: MODI IN THE PANTHEON OF INDIAN LEADERS
22 Apr 2017
Sri Ramakrishna Sevashrama Moradabad Uttar Pradesh India: मुकम्मल की खोज
1 Jan 2017
आनंद के अन्तर्मन से
तनु वेड्स मनु के बाद मैंने बहुत सी चीज़ें महसूस की..... मसलन जब मैं किसी कॉफी शॉप में बैठता था तो वहां नई पीढ़ी के लोगों को देखता था। मुझे पसंद तो आते थे ,लेकिन इसके बावजूद इस पीढ़ी से मेरी शिकायत भी है। शिकायत यह कि उनके रिश्ते अस्थाई होते हैं। मेरे मन में सवाल उठता था कि उनका प्यार में पड़ना ,किसी से रिश्ते बनाना और फिर बड़ी आसानी से उन रिश्तों से दूर चले जाना ,यह सब कैसे संभव हो पाता है। काफी गौर करने के बाद मुझे समझ में आया कि आज की नई पीढ़ी रिश्तों पड़ती ही नहीं है। इन्हें तो समझ में ही नहीं आता कि प्यार में पड़ना क्या होता है ?प्यार में पड़ना और फिर प्यार के टूटने पर जो दर्द होता है , उस दर्द से यह पीढ़ी डरती है। यह जो नई पीढ़ी है ,पलायनवादी है तो मुझे लगा कि एक फिल्मकार के रूप में मुझे इस पीढ़ी को समझाना चाहिए कि प्यार क्या है ?प्यार में क्या होता है और प्यार में पड़ने के क्या मतलब हैं ?आपने महसूस किया होगा कि पिछले कुछ साल से हमारे देश में कवि व शायरों की कमी पड़ने लगी है। जब लोग प्यार में पड़ने से डरेंगे तो कवी या शायर कैसे बनेंगे।मेरे अनुसार वर्तमान पीढ़ी में आत्मविश्वास की कमी है ,वह बहुत जल्दबाज़ है। इसी वजह से पलायनवादी है। यह कमी सिर्फ रिश्तों में ही नहीं ,बल्कि हर जगह है। जब आप अपने आप पर विश्वास नहीं करेंगे तो आप दूसरों पर शक करेंगे।
'रांझणा' देख कर लोगों ने महसूस किया कि मैंने बनारस शहर को शहर की वजह से नहीं चुना ,बल्कि किरदार की वजह से चुना। बनारस शहर का अपना एक व्यक्तित्व है। ज़िन्दगी का रस मुझे बनारस में ही नज़र आया। एक अजीब सा सुकून है वहां की ज़िन्दगी में। कुंदन बहुत साधारण -सा है। कुंदन अपने आप में बनारस है। बनारस शहर भगवान शिव यानी कि भोले का शहर है। हमारा किरदार कुंदन भी भोले जैसा है। किसी से प्यार करेगा तो बेइंतेहा करेगा। अगर कुछ दिमाग खिसका तो सब तबाह करने की भी ताकत रखता है।
18 Dec 2016
रामचरितमानस की चौपाइयों
*इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे।*
*मामभिरक्षक रघुकुल नायक |*
*घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||*
*2.* विपत्ति दूर करने के लिए
*राजिव नयन धरे धनु सायक |*
*भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||*
*3.* सहायता के लिए
*मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |*
*एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||*
*4.* सब काम बनाने के लिए
*वंदौ बाल रुप सोई रामू |*
*सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||*
*5.* वश मे करने के लिए
*सुमिर पवन सुत पावन नामू |*
*अपने वश कर राखे राम ||*
*6.* संकट से बचने के लिए
*दीन दयालु विरद संभारी |*
*हरहु नाथ मम संकट भारी ||*
*7.* विघ्न विनाश के लिए
*सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |*
*राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||*
*8.* रोग विनाश के लिए
*राम कृपा नाशहि सव रोगा |*
*जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||*
*9.* ज्वार ताप दूर करने के लिए
*दैहिक दैविक भोतिक तापा |*
*राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||*
*10.* दुःख नाश के लिए
*राम भक्ति मणि उस बस जाके |*
*दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||*
*11.* खोई चीज पाने के लिए
*गई बहोरि गरीब नेवाजू |*
*सरल सबल साहिब रघुराजू ||*
*12.* अनुराग बढाने के लिए
*सीता राम चरण रत मोरे |*
*अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||*
*13.* घर मे सुख लाने के लिए
*जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |*
*सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||*
*14.* सुधार करने के लिए
*मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |*
*जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||*
*15.* विद्या पाने के लिए
*गुरू गृह पढन गए रघुराई |*
*अल्प काल विधा सब आई ||*
*16.* सरस्वती निवास के लिए
*जेहि पर कृपा करहि जन जानी |*
*कवि उर अजिर नचावहि बानी ||*
*17.* निर्मल बुद्धि के लिए
*ताके युग पदं कमल मनाऊँ |*
*जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||*
*18.* मोह नाश के लिए
*होय विवेक मोह भ्रम भागा |*
*तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||*
*19.* प्रेम बढाने के लिए
*सब नर करहिं परस्पर प्रीती |*
*चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||*
*20.* प्रीति बढाने के लिए
*बैर न कर काह सन कोई |*
*जासन बैर प्रीति कर सोई ||*
*21.* सुख प्रप्ति के लिए
*अनुजन संयुत भोजन करही |*
*देखि सकल जननी सुख भरहीं ||*
*22.* भाई का प्रेम पाने के लिए
*सेवाहि सानुकूल सब भाई |*
*राम चरण रति अति अधिकाई ||*
*23.* बैर दूर करने के लिए
*बैर न कर काहू सन कोई |*
*राम प्रताप विषमता खोई ||*
*24.* मेल कराने के लिए
*गरल सुधा रिपु करही मिलाई |*
*गोपद सिंधु अनल सितलाई ||*
*25.* शत्रु नाश के लिए
*जाके सुमिरन ते रिपु नासा |*
*नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||*
*26.* रोजगार पाने के लिए
*विश्व भरण पोषण करि जोई |*
*ताकर नाम भरत अस होई ||*
*27.* इच्छा पूरी करने के लिए
*राम सदा सेवक रूचि राखी |*
*वेद पुराण साधु सुर साखी ||*
*28.* पाप विनाश के लिए
*पापी जाकर नाम सुमिरहीं |*
*अति अपार भव भवसागर तरहीं ||*
*29.* अल्प मृत्यु न होने के लिए
*अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |*
*सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||*
*30.* दरिद्रता दूर के लिए
*नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |*
*नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना ||*
*31.* प्रभु दर्शन पाने के लिए
*अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |*
*प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||*
*32.* शोक दूर करने के लिए
*नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |*
*आए जन्म फल होहिं विशोकी ||*
*33.* क्षमा माँगने के लिए
*अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |*
*क्षमहुँ क्षमा म न्दिर दोऊ भ्राता ||*
जय सियाराम
जय माता दी
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17 Dec 2016
स्त्री,
.
एक छोटा सा शब्द,
कई विशाल अर्थ।
स्त्री मात्र शब्द नहीं,
स्त्री एक विचार है।
स्त्री मात्र शब्द नही,
स्त्री परिवार है।
स्त्री के बिना परिवार की कल्पना,
कभी सच न होने वाला सपना।
स्त्री एक, जन्मदायिनी माँ,
स्त्री एक, स्नेह की मूर्ति बहन,
स्त्री एक, जीवन यात्रा की संगिनी पत्नी।
स्त्री एक, तमाम ऐसे ही संबन्ध,
जैसे, दादी, नानी, मौसी,
बुआ, भाभी, बेटी आदि-आदि,
सभी का अपना महत्व।
स्त्री मात्र शब्द नही,
स्त्री एक भाव है।
स्त्री मात्र संबन्ध नहीं,
स्त्री एक निर्वाह है।
स्त्री, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई है,
स्त्री, राजपूताना गौरव पन्ना धाई है,
स्त्री ,प्रेम पुजारन मीरा है,
स्त्री, रानी पद्मिनी के जौहर की पीरा है,
स्त्री, ममता की मूरत यशोदा माता है,
स्त्री, असहाय देवकी की कारुणिक गाथा है,
स्त्री, सीता, तारा, मन्दोदरी है,
स्त्री, कुन्ती, द्रौपदी और गान्धारी है,
स्त्री, लय का आरोह है, अवरोह है,
स्त्री, राग कल्याणी है, राग भैरव है,
स्त्री, कपाल कुण्ड़ला, मुक्त केशा, काली है,
स्त्री, स्वर प्रदायनी, वाग्देवी, ब्राह्मी सरस्वती है,
स्त्री, महिषासुर मर्दिनी, जगदम्बा दुर्गा है,
स्त्री, सरल सलिला, भागीरथी गंगा है।
स्त्री, मात्र शब्द नही .......
स्त्री, संसार है,
स्त्री, जगत जननी है,
स्त्री, तीर्थ है,
स्त्री, मोक्ष है।
स्त्री, मात्र शब्द नही।।
स्त्री, मात्र शब्द नही ॥
10 Dec 2016
भगिनी निवेदिता
👉सच्चा आत्म-समर्पण करनेवाली देवी
🔵 थाईजेन्ड ग्रीनलैण्ड पार्क में स्वामी विवेकानन्द का ओजस्वी भाषण हुआ। उन्होंने संसार के नव-निर्माण की आवश्यकता का प्रतिपादन करते हुए कहा- ‘‘यदि मुझे सच्चा आत्म-समर्पण करने वाले बीस लोक-सेवक मिल जायें, तो दुनिया का नक्शा ही बदल दूँ।”
🔴 भाषण बहुत पसन्द किया गया और उसकी सराहना भी की गई, पर सच्चे आत्म-समर्पण वाली माँग पूरा करने के लिए एक भी तैयार न हुआ।
🔵 दूसरे दिन प्रातःकाल स्वामीजी सोकर उठे तो उन्हें दरवाजे से सटी खड़ी एक महिला दिखाई दी। वह हाथ जोड़े खड़ी थी।
🔴 स्वामीजी ने उससे इतने सवेरे इस प्रकार आने का प्रयोजन पूछा, तो उसने रूंधे कंठ और भरी आँखों से कहा- भगवन्! कल आपने दुनिया का नक्शा बदलने के लिए सच्चे मन से आत्म-समर्पण करने वाले बीस साथियों की माँग की थी। उन्नीस कहाँ से आयेंगे यह मैं नहीं जानती, पर एक मैं आपके सामने हूँ। इस समर्पित मन और मस्तिष्क का आप चाहे जो उपयोग करें।
🔵 स्वामी विवेकानन्द गद्-गद् हो गये। इस भद्र महिला को लेकर वे भारत आये। उसने हिन्दू साध्वी के रूप में नव-निर्माण के लिए जो अनुपम कार्य किया उसे कौन नहीं जानता। वह महिला थी भगिनी निवेदिता- पूर्व नाम था मिस नोबल।
28 Nov 2016
विवेक गीतांजलि -स्वामीजी का आह्वान
(केदार ,मालकौंस या भैरवी -कहरवा )
स्वामीजी सन्देश दे गए , भले बनो और भला करो।
कर्तव्यों को पूरा करते , श्रेय -मार्ग पर चला करो।
जानो जीवन नश्वर अपना ,छोड़ो सुख -सम्पद का सपना।
आए दुर्लभ नर-तन लेकर ,महिमा निज उज्जवला करो।
राग- द्वेष मत रखना चित में ,लगे रहो नित सबके हिट में।
मोहमयी दुस्तर माया की ,उच्छेदन -श्रृंखला करो।
अपना चिर स्वरुप पहचानो ,दीन दुखी को ईश्वर जानो।
प्रीति और सेवा के शीतल ,निर्झर बनकर ढला करो।
दुख -पीड़ा पूरित जग सारा ,तोड़ो मिल 'विदेह ' यह कारा।
सबको ज्ञानालोक दिखाने ,निज मशाल हो जला करो।