1 Mar 2025

रामकृष्ण परमहंस - पुण्य स्मरण

रामकृष्ण परमहंस - पुण्य स्मरण 
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आज परमहंस देव का जन्मदिन है. यूँ तो वे 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना जनपद के कामारपुकुर नामक गाँव में जन्मे थे, किन्तु जन्मतिथि के अनुसार आज उनके जन्म स्थान के साथ विश्व भर में रामकृष्ण मठ के शाखा केंद्रों में उनका 190 वाँ जन्मोत्सव उल्लासपूर्वक मनाया जा रहा है. पश्चिम के कई देशों में ये शाखा केंद्र " वेदांत सोसाइटी " के नाम से जाने जाते हैं.वेदांत वेदशीर्ष है. वेद में जो उदात्ततम है, जो दिव्यतम है,जो अंतिम सन्देश है, वह वेदांत है,जिसे उपनिषदों के रूप में व्यक्त किया गया है तथा जिसमें कहा गया है - " सर्वम खलु इदम ब्रह्म ". अर्थात संसार में जो कुछ भी है, वह सब ब्रह्म ही है. श्रीरामकृष्ण परमहंस वेद में प्रतिपादित सत्य का जीवंत विग्रह हैं. उनका जीवन वेदोक्त सत्य का सर्वोत्तम भाष्य है. वे काली के भक्त हैं, किन्तु वे काली को ब्रह्म से अभिन्न कहते हैं. आग और उसकी दाहिका शक्ति, दूध और उसकी धवलता, ब्रह्म और उनकी मायाशक्ति एक ही हैं. उनके अनुसार, जीवन का एकमात्र लक्ष्य ईश्वर को पाना है, उनका दर्शन करना है, उन्हें प्रेम करना है. वे सर्वव्याप्त हैं. अतः सर्वत्र सभी में ईश्वर को उपस्थित जानकार सबकी सेवा करना सर्वश्रेष्ठ साधना है-" शिवज्ञान से जीवसेवा ".

परमहंस देव सभी धर्ममतों को ईश्वर तक पहुँचने के मार्ग मानते थे. अतः मार्गो को लेकर झगड़ना ठीक नहीं हैं.वाटर, जल, अकवा - ये सब पानी के विविध नाम हैं, अतः नाम को लेकर विवाद पैदा करने से क्या लाभ? इसे चाहे जिस नाम से पुकारो, इसका एक ही लाभ है कि यह हमारी प्यास बुझाता है. यह बात सभी धर्मों पर लागू होती है.

परमहंसदेव ज्ञान और भक्ति में भेद नहीं करते थे. दोनों का ही लक्ष्य ईश्वरानुभूति है. ज्ञानमिश्रिता भक्ति वर्तमान युग के लिये सर्वश्रेष्ठ है. हमारी उपासना, कर्म, ध्यान और विचार का एक ही सामान्य आधार है और वह ईश्वर है. साकार हो या निराकार, मूर्तिपूजा हो या अमूर्त ध्यान, गुण कीर्तन हो या ईश्वर को किसी भी नाम से व्याकुल होकर पुकारना हो - सभी का लक्ष्य एक है. अनन्त ईश्वर को पाने के साधन भी अनन्त हैं. उनकी किसी एक तरीके से इति नहीं की जा सकती. सत्य रूप में वे एक हैं, किंतु अनेक रूपों में अभिव्यक्त हैं. वे ही सबकुछ हुए है. उनके आलावा किसी अन्य की सत्ता है ही नहीं. अतः सभी समान रूप से प्रेम, आदर और सेवा के योग्य हैं.

संसार को एक रखने तथा स्वयं के जीवन को शान्तिमय बनाये रखने का श्रीरामकृष्णदेव का उपर्युक्त उदार भाव ही हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन की सफलता का रहस्य है.श्रीरामकृष्णार्पणमस्तु. 🌹

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