1 Jan 2017

आनंद के अन्तर्मन से


तनु वेड्स मनु के बाद मैंने बहुत सी चीज़ें महसूस की..... मसलन जब मैं किसी कॉफी शॉप में बैठता था तो वहां नई पीढ़ी के लोगों को देखता था। मुझे पसंद तो आते थे ,लेकिन इसके बावजूद इस पीढ़ी से मेरी शिकायत भी है। शिकायत यह कि उनके रिश्ते अस्थाई होते हैं। मेरे मन में सवाल उठता था कि उनका प्यार में पड़ना ,किसी से रिश्ते बनाना और फिर बड़ी आसानी से उन रिश्तों से दूर चले जाना ,यह सब कैसे संभव हो पाता है। काफी गौर करने के बाद मुझे समझ में आया कि आज की नई पीढ़ी रिश्तों पड़ती ही नहीं है। इन्हें तो समझ में ही नहीं आता कि प्यार में पड़ना क्या होता है ?प्यार में पड़ना और फिर प्यार के टूटने पर जो दर्द होता है , उस दर्द से यह पीढ़ी डरती है। यह जो नई पीढ़ी है ,पलायनवादी है तो मुझे लगा कि एक फिल्मकार के रूप में मुझे इस पीढ़ी को समझाना चाहिए कि प्यार क्या है ?प्यार में क्या होता है और प्यार में पड़ने के क्या मतलब हैं ?आपने महसूस किया होगा कि पिछले कुछ साल से हमारे देश में कवि व शायरों की कमी पड़ने लगी है। जब लोग प्यार में पड़ने से डरेंगे तो कवी या शायर कैसे बनेंगे।मेरे अनुसार वर्तमान पीढ़ी में आत्मविश्वास की कमी है ,वह बहुत जल्दबाज़ है। इसी वजह से पलायनवादी है। यह कमी सिर्फ रिश्तों में ही नहीं ,बल्कि हर जगह है। जब आप अपने आप पर विश्वास नहीं करेंगे तो आप दूसरों पर शक करेंगे।


'रांझणा' देख कर लोगों ने महसूस किया कि मैंने बनारस शहर को शहर की वजह से नहीं चुना ,बल्कि किरदार की वजह से चुना। बनारस शहर का अपना एक व्यक्तित्व है। ज़िन्दगी का रस मुझे बनारस में ही नज़र आया। एक अजीब सा सुकून है वहां की ज़िन्दगी में। कुंदन बहुत साधारण -सा है। कुंदन अपने आप में बनारस है। बनारस शहर भगवान शिव यानी कि भोले का शहर है। हमारा किरदार कुंदन भी भोले जैसा है। किसी से प्यार करेगा तो  बेइंतेहा करेगा। अगर कुछ दिमाग खिसका तो सब तबाह करने की भी ताकत रखता है। 

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