28 Nov 2016

विवेक गीतांजलि -स्वामीजी का आह्वान

विवेक गीतांजलि -स्वामीजी का आह्वान
                     
(केदार ,मालकौंस  या भैरवी -कहरवा )

स्वामीजी सन्देश दे गए , भले बनो और भला करो।
कर्तव्यों को पूरा करते , श्रेय -मार्ग पर चला करो।

जानो जीवन नश्वर अपना ,छोड़ो सुख -सम्पद  का सपना।
आए दुर्लभ नर-तन लेकर ,महिमा निज उज्जवला करो।

राग- द्वेष मत रखना चित में ,लगे रहो नित सबके हिट में।
मोहमयी दुस्तर माया की ,उच्छेदन -श्रृंखला करो।

अपना चिर स्वरुप पहचानो ,दीन दुखी को ईश्वर जानो।
प्रीति और सेवा के शीतल ,निर्झर बनकर ढला करो।

दुख -पीड़ा पूरित जग सारा ,तोड़ो मिल 'विदेह ' यह कारा।
सबको ज्ञानालोक दिखाने ,निज मशाल हो जला करो। 

चिंताओं से मुक्ति -पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल

चिंताओं से मुक्ति

पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल कहते थे - काम करो, चिंता अपने आप नहीं आएगी। वह द्वितीय विश्व युद्ध के वक़्त १८ घंटे काम करते थे और अक्सर कहते कि मेरे पास इतना काम है कि मुझे चिंता करने की फुरसत ही नहीं मिलती।

20 Nov 2016

मां


⛺जब आंख खुली तो अम्‍मा की
⛺गोदी का एक सहारा था
⛺उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको
⛺भूमण्‍डल से प्‍यारा था
उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्‍तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था
हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्‍यार किया
मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी
उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्‍तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्‍नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी
मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्‍यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया
शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्‍तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया
☝हम भूल गये उसकी ममता
☝मेरे जीवन की थाती थी
☝हम भूल गये अपना जीवन
☝वो अमृत वाली छाती थी
हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्‍तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी
हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी
हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था
हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्‍धन तोड. आए
बंगले में कुत्‍ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए
उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए
हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए
मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्‍या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है
जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्‍य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं
✋मां जिसको भी जल दे दे
✋वो पौधा संदल बन जाता है
✋मां के चरणों को छूकर पानी
✋गंगाजल बन जाता है
मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्‍नत है
गिरिजाघर और शिवाला है
हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्‍प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर मां के
चरणों में ये शीश झुकाता हूं...
      
 हर हर महादेव 

17 Nov 2016

मित्रता


.....मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं....
...मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
.....अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से....
....मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
....सबकी जिंदगी बदल गयी,
....एक नए सिरे में ढल गयी,
....किसी को नौकरी से फुरसत नही...
....किसी को दोस्तों की जरुरत नही....
....सारे यार गुम हो गये हैं...
.... "तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....
....मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....
...धीरे धीरे उम्र कट जाती है...
...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है...
और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ...
.....किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...
.....जी लो इन पलों को हस के दोस्त,
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ....




वैदिक प्रश्नोत्तरी

    वैदिक प्रश्नोत्तरी
  
        
         ॥ ॐ ॥
*ॐ यह मुख्य परमेश्वर का निज नाम है, जिस नाम के साथ अन्य सब नाम लग जाते हैं।*
प्र.1-  *वेद किसे कहते है ?*
उत्तर-  *ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।*
प्र.2-  *वेद-ज्ञान किसने दिया ?*
उत्तर-  *ईश्वर ने दिया।*
प्र.3-  *ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?*
उत्तर-  *ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।*
प्र.4-  *ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?*
उत्तर- *मनुष्य-मात्र के कल्याण         के लिए।*
प्र.5-  *वेद कितने है ?*
उत्तर- चार ।                                                  1-ऋग्वेद
2 - यजुर्वेद 
3- सामवेद
4 - अथर्ववेद
प्र.6-  *वेदों के ब्राह्मण ।*
      वेद              ब्राह्मण
1 - ऋग्वेद      -     ऐतरेय
2 - यजुर्वेद     -     शतपथ
3 - सामवेद     -    तांड्य
4 - अथर्ववेद    -   गोपथ
प्र.7-  *वेदों के उपवेद कितने है।*
उत्तर -  चार।
      वेद                     उपवेद
    1- ऋग्वेद       -     आयुर्वेद
    2- यजुर्वेद       -    धनुर्वेद
    3 -सामवेद     -     गंधर्ववेद
    4- अथर्ववेद    -     अर्थवेद
प्र 8-  *वेदों के अंग हैं ।*
उत्तर -  छः ।
1 - शिक्षा
2 - कल्प
3 - निरूक्त
4 - व्याकरण
5 - छंद
6 - ज्योतिष
प्र.9- *वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?*
उत्तर- *चार ऋषियों को।*
      वेद                    ऋषि
1- ऋग्वेद        -      अग्नि
2 - यजुर्वेद      -       वायु
3 - सामवेद      -      आदित्य
4 - अथर्ववेद     -     अंगिरा
प्र.10-  *वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?*
उत्तर- *समाधि की अवस्था में।*
प्र.11-  *वेदों में कैसे ज्ञान है ?*
उत्तर-  *सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।*
प्र.12-  *वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?*
उत्तर-   *चार ।*
        ऋषि        विषय
1-  ऋग्वेद    -    ज्ञान
2-  यजुर्वेद   -    कर्म
3-  सामवे    -    उपासना
4-  अथर्ववेद -    विज्ञान
प्र.13-  *वेदों में।*
     ऋग्वेद में।
1-  मंडल      -  10
2 - अष्टक     -   08
3 - सूक्त        -  1028
4 - अनुवाक  -   85
5 - ऋचाएं     -  10589
          यजुर्वेद में।
1- अध्याय    -  40
2- मंत्र           - 1975
          सामवेद में।
1-  आरचिक     -  06
2 - अध्याय     -   06
3-  ऋचाएं       -  1875
            अथर्ववेद में।
1- कांड      -    20
2- सूक्त       -   731
3 - मंत्र       -   5977
         
प्र.14-  *वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ?*                                                                                                                                                              उत्तर-  *मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।*
प्र.15-  *क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?*
उत्तर-  *बिलकुल भी नहीं।*
प्र.16-  *क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?*
उत्तर-  *नहीं।*
प्र.17-  *सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?*
उत्तर-  *ऋग्वेद।*
प्र.18-  *वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?*
उत्तर-  *वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व ।*
प्र.19-  *वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?*
उत्तर-
1-  न्याय दर्शन  - गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन  - कणाद मुनि।
3- योगदर्शन  - पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन  - जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन  - कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन  - व्यास मुनि।
प्र.20-  *शास्त्रों के विषय क्या है ?*
उत्तर-  *आत्मा,  परमात्मा, प्रकृति,  जगत की उत्पत्ति,  मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक  ज्ञान-विज्ञान आदि।*
प्र.21-  *प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?*
उत्तर-  *केवल ग्यारह।*
प्र.22-  *उपनिषदों के नाम बतावे ?*
उत्तर- 
*1-ईश ( ईशावास्य )  2- केन  3-कठ  4-प्रश्न  5-मुंडक  6-मांडू  7-ऐतरेय  8-तैत्तिरीय 9- छांदोग्य  10-वृहदारण्यक 11- श्वेताश्वतर ।*
प्र.23-  *उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?*
उत्तर- *वेदों से।*
प्र.24- *चार वर्ण।*
उत्तर-
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र
प्र.25- *चार युग।*
1- सतयुग - *17,28000*  *वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।*
2- *त्रेतायुग- 12,96000  वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।*
3- *द्वापरयुग- 8,64000  वर्षों का नाम है।*
4- *कलयुग- 4,32000  वर्षों का नाम है।*
*कलयुग के  4,976  वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।   4,27024 वर्षों का भोग होना है।* kha
         *पंच महायज्ञ
      1- ब्रह्मयज्ञ  
       2- देवयज्ञ
       3- पितृयज्ञ
       4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
       5- अतिथियज्ञ
  
स्वर्ग  -  जहाँ सुख है।
नरक  -  जहाँ दुःख है।

 
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परिश्रम व सोच का फल

अलेक्जेन्डर हैमिलटन के अनुसार -"लोग मुझे जीनियस कहते हैं ,किंतु मेरी सारी बुद्धिमता इसी में छिपी है कि मैं हाथ में कोई विषय आते ही गहराई से उसका अध्ययन करता हूँ। वह मेरे सामने दिन -रात रहता है। मैं उसका हर प्रकार से जायजा लेता हूँ। मस्तिष्क में वही घूमता रहता है। फिर मैं जो प्रयत्न करता हूँ ,लोग उसे ही मेरी जीनियस का फल कहते हैं ,जबकि यह तो मेरे परिश्रम व सोच का फल है।

Alexander Hamilton (January 11, 1755 or 1757 – July 12, 1804) was a Founding Father of the United States, chief staff aide to General George Washington, one of the most influential interpreters and promoters of the U.S. Constitution, the founder of the nation's financial system, the founder of the Federalist Party, the world's first voter-based political party, the founder of the United States Coast Guard, and the founder of The New York Post newspaper. As the first Secretary of the Treasury, Hamilton was the primary author of the economic policies of the George Washington administration. Hamilton took the lead in the funding of the states' debts by the Federal government, the establishment of a national bank, a system of tariffs, and friendly trade relations with Britain. He led the Federalist Party, created largely in support of his views; he was opposed by the Democratic-Republican Party, led byThomas Jefferson and James Madison, which despised Britain and feared that Hamilton's policies of a strong central government would weaken the American commitment to Republicanism.

गुरू देव रवीन्द्र नाथ टैगोर " जगत -सभा में मुझे चाहिए बस इतना स्थान "गीतांजलि की कविताएं

जगत -सभा में मुझे चाहिए
बस इतना स्थान ,
एक किनारे बैठ ,
यहाँ बस गाऊँ तेरे गान !
नाथ !तुम्हारे भुवन बीच
मैं करूं और क्या काज ,
केवल तेरे सुर में बजता ,
इन प्राणों का साज।
नीरव निशि में ,देवालय में ,
जब होगा आराधन ,
'गाओ' कहना ,मैं गाऊंगा ,
सुनना तुम हे !राजन !
और ,भोर में स्वर्णिम वीणा की
जब हो झंकार ,
रहूं दूर न ,सुन पाऊँ मैं ,
उस वीणा के तार।
रखना इतना मान !
-गुरू देव रवीन्द्र नाथ टैगोर
गीतांजलि की कविताएं 

मुकम्मल की खोज

मुकम्मल की खोज 
रेडियो पर एक गीत बज रहा है -कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ,कहीं जमीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता। उन्हें थोड़ी तसल्ली हुई कि वह अकेले नहीं , दुनिया के कई सारे लोग वह सब हासिल नहीं कर पाते , जो वे करना चाहते हैं। दरअसल ,जिंदगी खोया -पाया की अनवरत कहानी है। आप इसलिए हताश नहीं हो सकते कि आपने सिर्फ पाया -पाया ही क्यों नहीं ?


दार्शनिक मैकियावेली ने एक बहुत सुंदर बात कही है -जिंदगी का पूरा मतलब है अधूरापन। ऐसा कोई नहीं ,जिसे अपना चाहा मिल सकता हो। यहाँ तक कि बुद्धि से परे पशु -पक्षियों को भी वह हासिल नहीं होता ,जिसकी खोज में वे होते हैं। हम लाख चाहें ,योजनाबद्ध तैयारियाँ करें ,फिर भी असफलता को सार्थक रूप में समझने की तैयारी बगैर सारी तैयारी अधूरी है।संगीतकार मोजार्ट से जब एक मित्र ने पूछा कि आगे तुम क्या करना चाहते हो , तो उन्होंने कहा कि एक ऐसी रचना देना , जो मैं सचमुच देना चाहता हूँ ,लेकिन मैं जानता हूँ कि ऐसा नहीं हो पाएगा।
थोड़ी अटपटी -सी लगने वाली उनकी बात में गूढ़ दर्शन छिपा है। कोई भी रचनाकार ,जिसने जितनी भी बेहतर चीज़ रचना चाह रहा होता है। सच यह है कि सम्पूर्णता की खोज भले वह ,हम ,आप कर रहे हों या मैकियावेली-मोजार्ट अधूरी है। लेकिन यहाँ थोड़ा पेंच है। आपने जो पाया है ,उसके प्रति श्रद्धानवत हों ,तो जीवन की सार्थकता महसूस हो सकती है। अपने पाए -खोए का हिसाब करने बैठें ,तो इस बात पर ध्यान फोकस करें कि क्या है , जो आपको मिला तो आपकी आँखों में चमक आ जाएगी। आप पाएंगे कि आपके हिस्से बहुत कुछ  है , जो दूसरों के पास नहीं।

दरअसल , हमें खोए को भूलने की कला आनी चाहिए और पाए के प्रति कृतज्ञता की भावना रखनी चाहिए। अधूरापन भी मुक्कमल चीज है ,मैकियावेली की बात का एक अर्थ यह भी तो है।

रेडियो   है ,

इतिहास

"इतिहास उपेक्षा की नहीं ,
खंगालने की चीज़ है।
अगर आप उसकी उपेक्षा करते हैं ,
तो वह आपकी कर देगा।
अगर आप उसे नष्ट करेंगे ,
तो वह आपकी आने वाली नस्लों को नष्ट कर देगा। "

13 Nov 2016

१ तीर से १५ निशाने

१ तीर से १५  निशाने
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१. काला धन 
काले धन की समस्या एक झटके में समाप्त हुई | दीवारों, बेड, बोरियों में भरे भरे ही समस्त काला धन अपने आप ही रद्दी हो गया | कोई छापा नहीं मारना पड़ा | कोई पूछताछ नहीं हुई |
एक बार इतना तगड़ा झटका लगने के बाद भविष्य में भी दशकों तक लोग काला धन जमा करने की सोचेंगे भी नहीं |
२. सोने का कम आयात
भारत विश्व में सोने का सबसे बड़ा आयातक है | काले धन को छुपाने के लिए लोग सोना खरीदते थे | अब काला धन ही नहीं बचा तो सोने को खरीदने का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा | सोने का आयात घटने से भारत के कुल आयात बिल में भारी कमी आएगी |
३. रूपये की कीमत में उछाल
आयात बिल घटने से विदेशी मुद्रा के विनिमय में रूपये की कीमत में जबर्दस्त उछाल आएगी |
४. सस्ते घर
काला धन खपाने का दूसरा बड़ा ठिकाना जमीन - जायदाद थी | अब काला धन ही नहीं बचा तो जमीन - जायदाद को खरीदने का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा | अब लोग केवल अपने रहने के लिए ही घर खरीदेंगे | जिससे सभी को रहने को कम कीमत पर घर उपलब्ध होंगे |
५. काला बाजारी और जमाखोरी पर रोक
काला बाजारी और जमाखोरी के लिए साधारणतया काला धन ही उपयोग होता था | अब काला धन ही नहीं बचा तो लोग काला बाजारी और जमाखोरी के लिए धन कहाँ से लायेंगे ?
६. स्वच्छ धन की कीमत में बढ़ोतरी
काले धन वालों की खरीदने की क्षमता बहुत कम हो जाएगी | जिससे स्वच्छ धन वालों की खरीद क्षमता अपने आप बढ़ जाएगी | 
काले धन की अनुपस्थिति में स्वच्छ तरीके से धन कमाने वालों के धन की कीमत अपने आप बढ़ गई है | काले धन के दम पर झूठी शान दिखाने वाले लोग अब अपने कुकर्मों को रो रहे होंगे |
७. महंगाई में भारी कमी
सस्ता सोना, सस्ता घर, मजबूत रूपये और काले धन वालों की घटी हुई खरीद क्षमता के चलते महंगाई में अपने आप भारी कमी आएगी |
इससे आयात की जाने वाली वस्तुएं जैसे पेट्रोल गैस आदि भी सस्ते होंगे | काला बाजारी और जमाखोरी खत्म होने से बाजार में भरपूर माल उपलब्ध होगा | जिससे महंगाई और घटेगी |
८. नकली नोटों की समस्या से निजात
नकली नोटों के अंतिम शिकार ज्यादातर गरीब लोग होते थे | आम लोग सब्जीवाले, रिक्शेवाले, पटरी वाले को नकली नोट थमा देते थे और वे बेचारे लुट जाते थे | उनके अलावा भी आम जनता भी इसकी शिकार थी |
अब नकली नोटों के सौदागर खुद ही बर्बाद हो गये | न जनता इन नोटों को लेगी और न ही बैंक |
९. आतंकी नेटवर्क का सत्यानाश
आतंक का सारा खेल ही काले धन और नकली नोटों पर चलता था | पाकिस्तान नकली नोटों की मोटी खेपें भारत की अर्थव्यवस्था की बर्बाद करने और आतंकियों की तनखा देने के लिए भेजता था |
अब आतंकियों के पास हथियार खरीदने के लिए भी धन नहीं होगा | क्योंकि जो काला और नकली धन उनके पास जमा है वो सब तक कूड़ा हो गया |
१०. हवाला कारोबार का दिवाला
लोगों के खरबों रूपये रोज इधर से उधर भेजने वाले हवाला कारोबारियों का अब बैठे बैठे दिवाला निकल गया | जो पुराने नोट लिए वो तो रद्दी हो गये | नये नोट कहाँ से डिलीवर करें ?
११. सट्टा बाजार का बैठा भट्टा
करोड़ों रूपये का सट्टा कारोबार करने वाले भी अब बर्बाद हो चुके हैं | जो लोग सट्टे में हारे वो पुराने नोट दे नहीं सकते और जो जीते वो पुराने नोट ले नहीं सकते |
१२. बिल से व्यापार
जब काला धन नहीं होगा तो दुकानदारों को बिल काट कर ही सामान बेचना पड़ेगा | साथ ही क्रेताओं को भी टैक्स चूका कर ही सामान खरीदना होगा |
१३. रिश्वत खोरी पर अंकुश
रिश्वत खोरों पर तो पुराने नोटों का बंद होना किसी अज़ाब की तरह टूटा है | करोड़ों के रद्दी नोट जो भरे पड़े हैं उन्हीं का कुछ निपटान हो तो आगे रिश्वत लेने की सोचेंगे |
१४. अधिक टैक्स एकत्रीकरण
अधिक टैक्स इकठ्ठा होने से देश की रक्षा और विकास जरूरतें तेजी से पूरी हो सकेंगी | महंगाई कम होने से सब्सिडी का बोझ भी कम होगा | यह सब धन देश के विकास और युवा शक्ति के उत्थान में लगेगा  |
१५. स्वस्थ चुनाव
काले धन की अनुपलब्धता से चुनावों में बेतहाशा खर्च करना कम हो जाएगा | साथ ही गरीब वोटरों को पैसा और शराब से ललचाने का काम भी बंद होगा |