12 Aug 2016

जिंदगी


*खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की।*
*आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।*

*अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।*
*क्यों  की  जीसकी  जीतनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे।*

*ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है*
*शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!!*

*एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,*
*जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,*
*और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।*

*बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...*
*क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..*

*मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,*
*चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।।*

*ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है*


*जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने*
*न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.*

*एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..*
*वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!*

*सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..*
*पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!*

*सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....*
*बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |*

*जीवन की भाग-दौड़ में क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?*
*हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..*

*एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम*

*_और_*

*आज कई बार*
*बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..*

*कितने दूर निकल गए,*
*रिश्तो को निभाते निभाते..*
*खुद को खो दिया हमने,*
*अपनों को पाते पाते..*


*लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,*
*और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..*

*"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,*
*लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ..*

*मालूम है कोई मोल नहीं मेरा*

*_फिर भी,_*

*कुछ अनमोल लोगो से रिश्ता रखता हूँ...!*

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